Tuesday, August 4, 2015

मूर्दा शान्ति

सीएन थारु
विषय प्रवेश ः नेपाल के लौव संविधान शान्ति ओ विकासके लाग फलदायी बनी कि नै ? यी सवालम धेरवहस केन्द्रित होराखल विल्गाइठ । यिहे व्याला हो नेतृत्वके परीक्षण जहाँ नेतृत्व के निर्णय यथार्थ बोक्ले रहठ ओ विपरीत लहर हे चुनौती देना काम करठ । चार प्रमुख दलके शिर्ष नेतृत्व के भूमिका हेर्ल से असिन लागठ कि बोली के ठेगान नै रहल यी सक्कु दल विशेष के अगुवा किल हो । मञ्च पाइल कले से विसंगतीपूर्ण ओ अविश्वास लाग्ना अभिव्यक्ति देती आइल प्रमाण मिलठ ।
        संविधान मस्यौदा के सैद्धान्तिक आधार नवउदारवादी राजनीतिक विचारधारा हो । बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नवउदारवादी राजनीतिक विचारधाराके राज्यव्यवस्था हुलेक कारण सामाजिक न्याय यी व्यवस्थाम सम्भव हुई नै सेक्ना प्रमाणीत होस्याकल । बुर्जवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्रम कुछेक मनैन के लाग श्रोत साधनम पहुँच पुग्क हुकहनके प्रभूत्व कायम रहठ । संसारम करिब ५प्रतिशत मनैनके हाथम अभिन आधा अर्थतन्त्र नियन्त्रित बा ।
राजनीतिक विसंगति ः नेपालम शक्ति के लाग साम, दाम, दण्ड ओ भेद सक्कु प्रयोग हुइठ । शक्ति विना अस्तित्व विहिन हुई पर्ना मानसिकताले सनातन वर्णाश्रम धर्म विधान तयार कैगिल । याकर प्रयोग मार्फत राजा विष्णुके अवतार फें मानगिल मुले आजके वैज्ञानिक युगम सत्य स्थापित कराइक लाग प्रमाण जरुरी रहठ । विगतम शास्त्रके श्लोक, मन्त्र अथवा श्रुती प्रमाणके रुपम माने पर्ना स्थिति फे रहे । ऊ समयम जिम्मेवारी फे महसुस कैना मेरके धर्मतान्त्रिक व्यवस्था रहे । आज शक्ति के प्रयोग कैख कानुनी राज्यके कुरुपता देख मिलठ । संविधानम कानुनी राज्य उल्लेख करठ मुले शक्तिके आघ सामान्य निर्णय कर्ना विषय फें झन्झटिलो बनजाइठ ।
राजनीतिक संस्कार लोकतान्त्रिक हुई पर्ना मान्यता लेक पटक पटक संघर्ष हुइलेक देश हो । वि.स.१९९० के भुइचाल पश्चात नेपालम लोकतन्त्रके लहर चले लागल ओ २०७२ के भुइचाल सम्म निरन्तर लोकतन्त्र कसिन हुई पर्ना वहस चलटी बा । समावेशी लोकतन्त्र अथवा सामेली लोकतन्त्रके विषय वहसम उठलक कारण याकर सैद्धान्तिक जग खोजी करे पर्ना स्थिति बनल । लोकतान्त्रिक समाजवादी हुक्र यी विषयम धेर वहस चलाइठ । वि.पी कोइराला ओ नेहरुके विचम यी सवालम मतभेद रह जहाँ वि.पी. लोकतान्त्रिक समाजवादके वकालत कर्ती आइल । दोसर ओर नेहरु बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्रके पक्षम आपन विचार सशक्त बनैती गइल । वि.पी. ओ नेहरुके प्रतिस्पर्धा दक्षिण एसियाम शुरुवात से देखमिलल । इन्डियाम ट्राइबल ओ पिछडावर्गके लाग विशेष सहुलियत देख सामेली लोकतन्त्रके अभ्यास कर्ती आइल मुले नेपाल के प्रभुत्वशाली वर्ग अभिन फे संसदीय राज्यव्यवस्थाके वकालत करती वहुलवाद सुनिश्चित करे पर्ना वि.पी. के राजनीतिक सन्तानहुक्रे दावी जोडतोड से कर्ती बा । यहाँ सम्म कि वि.पी. धर्म निरपेक्षताके सावलम प्रष्ट रहे जहाँ २०१५ सालके संविधानम राज्यके धर्म नै रहल स्वीकार कैगिल मुले आज महेन्द्रपन्थी हुक्रे हिन्दु अधिराज्यके ठाउँम धार्मिक स्वतन्त्रताके ननसेन्स वहस चलैटी बा । नवमाक्र्सवादी हुक्रे फे धार्मिक स्वतन्त्रता के वकवास करेलागल जौन और विसंगतीपूर्ण विचार लागठ  ।
मस्यौदा संविधान ः जनमत के कसिम मस्यौदा संविधान कुरुप देख मिलल । पक्ष ओ विपक्षम मत जाहेर हुइलेक स्थिति सामान्य हो मुले याकार सैद्धान्तिक आधारम कम वहस चलल विल्गाइठ । हुइना त सैद्धान्तिक विषयम सक्कुन के पहुँच नै पुग्ठ वहस चलाइटन; यहाँ मस्यौदाकार हुक्रे फे कानुनी भाषाके प्रयोगम कमजोर विल्गाइल । जनआन्दोलन २०६२/६३ के मर्म लगायत राष्ट्रिय मुक्ति आन्दोलनके विविध खाले आन्दोलन ओझेलम पार्लक स्थिति विल्गाइल । जातीय, वर्णिय , वर्गिय, लैङ्गिक, भाषिक, साँस्कृतिक, धार्मिक विभेदके आधार वर्णाश्रम धर्म विधानम आधारित एकात्मक राज्य व्यवस्था नै हो मस्यौदा किटान नै कर्ल । खस क्षेत्री एकता समाज(आदिवासी/जनजाति)के कार्यनीति ओ कार्यदिशाम स्पष्ट उल्लेख कैगिल कि “हमार समाज विकासके कडि वर्ण हो । आहेक मारे सामान्तवाद, नोकरशाही, दलाल, पूँजीपति वर्ग कुछेक अपवाद वाहेक वाहुनवादी एकल जातीय सर्वसत्तावादके प्रतिविम्ब किल हो । यहाँ मुख्य अन्तरविरोध भनेकै वाहुनवाद ओ राष्ट्रिय मुक्ति आन्दोलन विचके अन्तरविरोध हो । आब प्रहारके केन्द्रविन्दु कौनो सिधै वाहुनवाद िसर्वसत्तावादम केन्द्रित होखक चाही ।”
यी विश्लेषण सटिक देखमिलठ । राजनीतिक अन्तरविरोधके ऐतिहासिक भौतिकवादी विश्लेषण हेर्ल से मस्यौदा संविधान द्वन्द्व समाधान नै देहे सेकी । लम्बिंदो संक्रमणकाल के अन्त्य एक थान संविधान जारी कैक हुइसेक्ना स्थिति नै विल्गाइठ । वाहुनवादी एकल जातीय सर्वसत्तावादके पक्षपोषण बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र फे करी कना अनुमान होराखल ओर्से दीगो शान्तिके अपेक्षा करिब करिब ओराराखल । 
आसक्ति के विषय ः लौव नेपाल निर्माण के वहसम आत्मनिर्णयके अधिकार सहितके जातीय स्वशासन ओ संघीयता के विषय सँगे समानुपातिक प्रतिनिधित्व लोकतान्त्रिक माग के रुपम देख मिलल । धर्म निरपेक्षता हिन्दुधर्म के एकल दवदवा अन्त करकटन आदिवासी जनजाति संघ संस्था उठाइल करे । असिन अवस्थाम अधिकार सम्पन्न हुइपर्ना वात सर्वस्वीकार्य बन्ती रहलक व्याला आत्मनिर्णयके अधिकार ओ जातीय स्वशासन जसिन अधिकार जम्म मस्यौदा संविधानम हटाइल । कानुनके नजरम सक्कुजे समान हुइपर्ना तर्क पेश कर्क यहाँ असमान प्रस्पर्धाके मजाक उरैना काम हुइटा । संघीयताके विषय ओझेलम पार्क अंशम संविधान जारी कैना विषय सँगे जब सरोकार के विषय सक्कु हटैना प्रयास होराखल विल्गाइठ कलेसे आब धर्म निरपेक्षता उपर आशक्ति बह्रैना का जे ? सवाल उठे लागल । अभिनके मस्यौदाम स्वीकृती जनैना काम मृत्युपत्रम हस्ताक्षर कैना बराबर हो सभासद हुक्र कहठा मुले ओकर हैसियत याकर विकल्प खोजी करे सेक्ना स्थिति नै विल्गाइठ । आपन पार्टीके अस्तित्व ३प्रतिशत थ्रेस होल्ड स्वीकार कर्ती नाश कैना स्थितिम आज पुगल । ओहेक मारे जागिरे मानसिकता के सभासद से धेर अपेक्षा नाकरो कारण भविष्यम दुःखके तलुवाम डुबे परि । क्रान्तिकारी हुकनके यी स्थितिम फरक दृष्टिकोण बा । अन्तरविरोधके स्थिति क्रान्तिकारी नेतृत्वके लाग अवसर हो । याकर लाग लौव राजनीतिक संश्लेषण कैख धैर्यताके साथ संकटके समाना करे खोज्ठ क्रान्तिकारी नेतृत्व । राष्ट्रिय मुक्ति क्रान्ति केकर नेतृत्वम सम्पन्न हुई यी योजनाम निर्भर रहही । अर्थात् जेकर सँग वस्तुगत योजना रहही वर्तमान के यथास्थितिके विरुद्ध विद्रोह करे सेकी ओ भविष्यम शक्ति के श्रोत ओहे मेरके नेतृत्व बने सेकी । 
निष्कर्ष ः ऋगवेदके अनुसार ब्राह्मण विराट पुरुषके मुहसे जर्मल । संसारके अब्बल दर्जाके मनै ब्राह्मण हुइट ज्याकर ज्ञानले यी मनुष्य जगत लाभ लेहे सेक्ना अवस्थाम पुग्लक हो । बुद्धछिरिङ मोक्तानके फेसबुक स्टाटस से यी पता चलल कि कोइराला, सिटौला, दहाल, नेपाल, खनाल, ओली, भटराई ओ पौडेल ओहे ब्राह्मण कुलके हुइट । संविधान मस्यौदा करकटन ज्ञानी ब्राह्मण कुलके यीहे प्रभावशाली नेतृत्व योगदान करती रहलक व्याला का करे मस्यौदा परपीडक महसुस हुइल । जबकी बोलिभिया, इक्वेडोर अथवा इथियोपिया के मनैन यी ब्राह्मण कुलके नजरम मलेच्छ जाति रहल मुले ओहे मलच्छ जाति आज संसारके लोकतान्त्रिक संविधान जारी कैख समाजवाद उन्मुख राज्यव्यवस्था चलैटी बा । असिन महसुस हुइटा जब शक्तिके उन्माद ब्राह्मण कुलम देखमिलठ ताब याकर व्यवहार शुद्र के सँगे मिलठ । यी फे शास्त्रीय मान्यता हो । यहाँ चाहे नवउदारवादी धार होए अथवा माक्सवादी धार जहाँ फे ब्राह्मण कुलके मनैन शक्तिम रहलक कारण स्वभाविक हो कि कोइराला, सिटौला, दहाल, खनाल, नेपाल, ओली , भटराई ओ पौडेलम शक्ति उन्माद देखमिलल ओ व्यवहारिक रुपम शुद्रके विचार लेहल । यी मुर्दा शान्तिके डग्गर तय कर्ल । आब राष्ट्रिय मुक्ति क्रान्ति और सशक्त बनाइपर्ना बाध्यता आसेकल । राजनीतिक अन्तरविरोध वस्तुगत परिस्थिति त निर्माण कैसेकल मुले आत्मगत तयारी कमजोर हुलेक कारण तत्काल बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्रके धार हे रोके सेक्ना स्थिति नै विल्गाइठ । राष्ट्रिय मुक्ति क्रान्तिके गम्भिर तयारी वेगर लोकतन्त्रके संस्थागत हुइसेक्ना वात वकवास किल हो । अभियानम निरन्तरता, संघर्षम जोड ओ विद्रोहके तयारी आबके राष्ट्रिय मुक्ति क्रान्तिके कार्यदिशा यीहे हो । डेरिक जेन्सन मान्यता बोकठ कि मालिक के घर सिर्फ एक औजार प्रयोग कैख ध्वस्त नै करे सेक जाई चाहे ऊ औजार कौनो विष्फोटक पदार्थ होए अथवा कौनो ह्यामर अथवा विमर्श । यी मान्यताले आब राष्ट्रिय मुक्ति क्रान्ति कौनो दोसर क्रान्तिके नक्कल अथवा अर्धनक्कल कैख सम्पन्न करे सेक्ना स्थिति नै हो । 

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