Tuesday, July 28, 2015

लौव संविधान : बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र

सीएन थारु

विषय प्रवेश : नेपालम संविधान सभा मार्फत लौव संविधान बनैना ६५वर्ष आघक जनतनके चाहना पुरा हुइलागल । कसिन संविधान बन्ति बा ? याकर लाग भाग ३७, धारा २९७ ओ अनुसुची ७ रहल संविधानके मस्यौदा बन स्याकल । आज ओहे मस्याँदा छलफलम रहल विल्गाइठ । जेष्ठ २५ गते हुइल चार मुख्य दलके सहमति उपर सर्वोच्च अदालत स्टे अर्डर जारी कइल रहे । संविधानके मस्यौदा तयार पारक जनतनके विचम छलफलके लाग तबो पठागिल ओ याकर असन्तुष्टी देश भर देखमिलल । मधेसी जनतनके ओरसे प्रचण्ड ओ माधव नेपाल निशाना बनागिल कलेसे लिम्बुवान राज्यवालाके निशाना के.पी. ओली ओ कृष्ण सिटौला बनल । 
श्रावण ८ गते शुक्रके चार दलके शिर्ष नेतृत्वके बैठक से श्रावण महिना भित्तर संविधान जारी कैना सहमति हुइल निर्णय बाहर आइल । ओस्त असन्तुष्ट दलसे सम्बाद, वार्ता कैना सहमति फे हुइल । सिमाङ्कन सहितके संघियता नै आइसेकी कना ठहर होस्याकल । दोश्रा धर्म निरपेक्षता हटैना विषय संविधानके मस्यौदा सम्बन्धि छलफलके महत्वपूर्ण पक्ष बनगइल । प्रा.कृष्ण खनालके भनाई अनुसार चार शिर्ष नेतृत्व नेपालम ८१प्रतिशत जनतन हिन्दु रहल तथ्याङ्क मानक नै कि नरेन्द्र मोदीके चाहना पुरा करकटन नेपाल धर्म निरपेक्ष राज्य रहल विषय संविधान से हटैना काम करी कलेसे आश्चर्य माने पर्ना बात नै रही । इन्डिनिष्ट मतके अनुसार धर्म निरपेक्षता ओ गणतन्त्र नेपालके सन्दर्भम एक सिक्का के दुई पाटा हो कारण नेपाल राज्यके केन्द्रिय पक्ष जो सनातन वर्णाश्रम हिन्दु धर्मम आधारित देखमिलठ । पशुपति नाथ राष्ट्रिय देवता, गाई राष्ट्रिय जनावर, राष्ट्रिय रङ्ग सिम्रीक इत्यादि वर्णाश्रम हिन्दु धर्म हे बलगर बनाइकटन योजनावद्ध काम आघ बर्हाइल गोरखा राज्य विस्तार पश्चात हो । लौव संविधानम याकर निरन्तरता देना प्रयास स्वरुप मस्यौदा तयार कैगिल । 
बुर्जवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र : संसार भर सामन्ति राजतन्त्रके अथवा सामन्ति शासनके विरुद्ध बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र राज्यव्यवस्थाके रुपमा आइल । याकर दार्शनिक पक्ष उदारवाद मानगिल । फ्रान्सके राज्यक्रान्ति ओ वेलायतके औद्योगिक क्रान्ति लगायत अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम उदारवादके जगम आधुनिक राज्य निर्माण करकटन संसारभर हौस्याइल । मानव केन्द्र मानक उदारवाद व्यक्ति स्वतन्त्रता र सार्वभौम अधिकार अक्षुण ठहर कर्ती संसदके सर्वोच्चता सहितके राज्य व्यवस्था आघ बह्राइल । जनताके प्रतिनिधि सहितके संसद गठन करकटन वालिग मताधिकार, आवधिक निर्वाचन, शक्ति पृथकीकरण इत्यादि महत्वके विषय बनल । बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र सामाजिक न्याय र शोषणको अन्त्य नैकरे सेक्ना ठहर कैक पूँजीवादके विरुद्ध माक्र्सवाद राजनीतिक विचार के रुपमा आइल । माक्र्सवाद समाजके द्वन्द्ववादी चरित्र ऐतिहासिक रुपम अध्ययन कर्ती वर्गसंघर्ष हे राजनीतिक संश्लेषण कैख पूँजीवादके विरुद्ध वैचारिक, राजनीतिक, अर्थराजनैतिक संघर्ष आघ बह्राइल । नवउदारवादके दर्शन जहाँ लोकतन्त्र हे समावेशी अथवा प्रतिनिधि मुलक बनाक प्रयोगम नानगिल । 
बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्रम धर्मके विषयम सेकुलर ठहर कैगिल मुले अभ्यासम जहाँ फे एक विशेष धर्म हे संरक्षण प्रदान करती आइल । धर्म निरपेक्ष राज्य भारतम बाबरी मस्जिद तुर गिल । नेपालके सन्दर्भम हिन्दु धर्म हे संरक्षण आज फे करती रहलक प्रमाण बा । प्रभूत्वशाली समुदाय धर्म हे शक्ति संचयके संयन्त्र बनैलक कारण नेपालम फे सनातन वर्णाश्रम हिन्दु धर्म यथावत राखक लाग वहस जोरतोर से चलैती बा । बुद्धछिरिङ्ग मोक्तानके फेसबुक स्टाटस स्पष्ट रुपम मत दर्ज करास्याकल कि वेदके पुरुष सुक्तम ब्राह्मण विराट पुरुषके मुख से जन्म लेलक कारण स्वयम् हे ब्राह्मण अवल मानगिल । ब्राह्मण लोग दुइचो जर्मठ ज्याकर प्रमाण जनै हो । जनै हे द्वीजिय बोलठ । आज ओहे संसारके विद्वान मानगिल ब्राह्मण जब संविधान के मस्यौदा तयार कर्ल वहिष्करणम परल जनता सन्तुष्ट नै हुइस्याकल । संविधान परपिडक हुइसेकी अनुमान इहे बा । बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र १२बुँदे दिल्ली सम्झौताके मुल मर्म हुइलेक कारण भारत यिहे व्यवहारिक वनाइक दवाव सिर्जना कर्ती बा । माओवादीके लाग बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र स्वीकार करही पर्ना बाध्यता बा । 
लौव संविधान : लौव संविधान समग्रम राजनीतिक दस्तावेज नै बनेसेकल । राजनीति द्वन्द्व सामाधानके लाग हो । लौव संविधान जारी हुलेक पाछ यहाँ लौव मेरके द्वन्द्व शुरु हुइना होगिल । लौव संविधानम अनेकन धारा असिन बा जिहे मनन करी कलसे अन्तरविरोधी देख मिलठ । राज्यके परिभाषाम वहुजातीय, वहुसाँस्कृतिक, वहुधार्मिक राज्य मानगिल मुले राज्यके निर्देशक सिद्धान्त जातीय जनसंख्याके आधारम समानुपातिक प्रतिनिधित्व अस्वीकार करलक विल्गाइठ । दोश्रो श्रोत साधनके न्यायोचित वितरण, सक्कु किसिमके आर्थिक शोषण ओ असमानता के अन्त कैना सवालम जौ तीन खम्बे अर्थनीति मस्यौदाम देखमिलल । विश्वव्यापिकरणके माहोलम  खुल्ला बजार नीति नेपाल लागु नै करे सेक्ना स्थिति विल्गाइल । समाजवाद उन्मुख अर्थतन्त्रके विकास युटोपियन सोसलिज्म बनगिल । 
लौव संविधानके धारा २३ सामाजिक न्यायम थारु संवैधानिक जारगन प्रयोग हुइल । यिहे आधार बनाक थारु सभासद ओ थारु बुद्धिजिवी सक्कु मज्जा माने लागल । थारु सभासदहुक्रे यी उपलब्धि के विषय हो ज्याकर लाग हम्र भारी लडाइृ लडे परल कहति प्रहसन मचैती बा । थारु शब्दके संवैधानिक अर्थ कसिक खोज्ना ओ सैद्धान्तिक जग याकर का हो ? यी सवाल सँगे उठस्याकल । उदारलोकतन्त्रके सैद्धान्तिक जगम थारु शब्दके कौनो अर्थ नै रही । थारु किल स्थानीय वासिन्दा आब नै रहल । प्राकृतिक श्रोत साधन उपयोगम स्थानीय जनताके अग्राधिकार सुनिश्चित कैना बात उठाइल मुले नेपाली सन्दर्भम स्थानीय वासिन्दाके परिभाषा औरोमेर के विल्गाइठ । आदिवासी ओ आदिवासी जनजाति कैहके संवैधानिक जारगन आइल । असिन लागठ कि मस्यौदा करुइयन कानुनी भाषाम कमजोर रहे । मौलिक आधिकार भित्तर क्षतिपूर्तिके अधिकार का करे नै परल ? मुख्य सवाल यी हो । राज्य मार्फत राष्ट्रिय निकुञ्ज, हाइवे, इन्डष्ट्रियल स्टेट, पुनर्वास के नामम जग्गा अधिग्रहन कैना ओ क्षतिपूर्ति नै देना यी कसिन लोकतन्त्र हो ? लोकतन्त्रके खोल आह्रक कुलिनतन्त्र चलैना चाहना विल्गाइठ मस्यौदा संविधानम ।
निष्कर्ष : एक थान संविधान जारी हुई कना आशा बा । जब सम्म संविधान जारी नै हुई निश्चित हुइसेक्ना स्थिति फे नि हो यहाँ । संविधान के मस्यौदा सैद्धान्तिक जग नवउदारवाद नै हो । आज जौन सामुहिक अधिकार के विषय शुरु से उठती बा ऊ सक्कु मुद्दा किल बन्के रहगिल । मुद्दा एकल आयामिक ढङ्गसे उठती आइल ओ सामुहिक अधिकार एक डरलाग्दो विषय बनगइल कि पाछ यी देश विखण्डनके सहयोगी तत्व बन नजाए । असिन स्थितिम प्रा.कञ्चन चन्द्र कहठ– “यदि जातीय पार्टी संस्थागत रुपम प्रोत्साहित कैजाइठ जातीय पार्टी लोकतन्त्र हे दीगो बनाइठ ; आउट विडिङ्ग हे आउट विडिङ्ग मोडलद्वारा मानगइल एक आयामिक जातीय पहिचान हे वहुआयामिक पहिचान मार्फत प्रतिष्ठापन कैस्याकठ ... यी स्पष्ट बा कि लोकतन्त्र के स्थायित्व हे खतरा जातीय विभाजनके आन्तरिक विभाजन से नै हुइठ मुले संंस्थागत सन्दर्भ ज्याकर भित्तर जातीय राजनीतिके स्थान विल्गाइठ ; ऊ एकल आयाम ओर सिमित बनाइठ ओ लोकतन्त्र अस्थिर बनठ जबकी जातीय पहिचान के वहुआयामिक हे बढावा देहठ लोकतन्त्र दीगो बनाइठ ।”
उपरोक्त मत अनुसार नेपालम सैद्धान्तिक बुझाईके फरकपन से हमार गतिविधि एकल आयामिक हो कि वहुआयामिक बुझैना कर्रा परल । ओस्त कुलिन शासकवर्ग राजनीतिके पारडाइम शिफ्ट होस्याकल पत्ता पइलक पाछ फे रुपान्तरणम नै पुगे सेक्ना त्रास बोक्क अखण्डताके नामम अथवा जातीय सदभाव विथोलेसेक्ना हौवा फिंजाक चेतना हे रोके ख्वाजठ । भारतीय संस्थापनके चाकरी करक कामम लाज नै हो उहीन मुले राज्यके चरित्र बदले पर्ना जनतनके मनोभावना हे विखण्डन देख्ना 
कमजोर मानसिकता बनाक बैठक बा । जातिके आत्म निर्णयके अधिकार अनड्रीप स्वीकार कैलक स्थितिम फे याकर पक्ष राष्ट्र रहल नेपाल लौव संविधानम स्वीकार करे सेक्ना उदारता देखाइ नैसेकल । अनड्रीप उदारवादी जगम आइल आदिवासी जनतनके अधिकार सम्बन्धि घोषणा पत्र हो । गाउँघरम एकठो कहाई बा कि वावहन, वानर हाथि–यी तिनु उत्पाति । इतिहास ह्यार्वि कले से वावहन युरोप के वारवेरियन से तुलना करे सेक जाइठ । वारवेरियन कहना एक अर्थम जंगली हो । आज संविधान मस्यौदा स्पष्ट रुपम सैद्धान्तिक जग किटान करे नैस्याकल विल्गाइठ मुले सारम याकर केन्द्रीय भाग नवउदारवाद रहल महसुस जो हुइठ आब संक्रमणकाल के अन्त नै हुइसेकी । नेपालके भविष्य ओहेक मारे सन्तोष माने सेक्ना स्थिति ने विल्गाइठ ।   

लौव अग्रासन साप्ताहिकबाट

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